किसान होंगे सम्मानित : डीएओ
ओबरा (औरंगाबाद) :
प्रखंड में किसानों के द्वारा लगाये गये श्री विधि से धान की फसल का जायजा जिला कृषि पदाधिकारी शिलाजीत सिंह, प्रखंड विकास पदाधिकारी देवेंद्र कुमार प्रभाकर, प्रखंड कृषि पदाधिकारी ललित किशोर चौबे ने अरंडा गांव में लिया. बताया जाता है कि अरंडा गांव के किसान राजेश सिंह, अर्जुन सिंह और रवि सिंह ने जो साढ़े चार एकड़ में श्री विधि से धान की फसल अपने खेतों लगायी थी जिसका जायजा लेने के लिए जिला कृषि पदाधिकारी अपने अधीनस्थ कर्मचारियों के साथ पहुंचे.
धान के फसल निरीक्षण करने के बाद जिला कृषि पदाधिकारी शिलाजीत सिंह ने कहा कि किसानों के द्वारा अच्छे तरीके से धान की फसल लगायी गयी है. जो सराहनीय है. अच्छे फसल लगानेवाले किसानों को सम्मानित किया जायेगा.
उन्होंने बताया कि राज्य सरकार इस वर्ष श्री विधि से गेहूं की फसल लगाने के लिए किसानों को कहा है. जिस पर कृषि विभाग के द्वारा पूरे जिले में रबी महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है. किसानों को श्री विधि से गेहूं की फसल लगाने पर जोर दिया जा रहा है.
अनमोल रत्न है भूमि
छात्र-छात्राओं ने लिया हिस्सा
औरंगाबाद(सदर) :
औरंगाबाद(सदर) :
शहर के गेट स्कूल में रविवार को 19वीं राष्ट्रीय बाल विकास कांग्रेस का आयोजन हुआ. इस कार्यक्रम का उद्घाटन सच्चिदानंद सिन्हा महाविद्यालय के रसायन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ चंद्रशेखर पांडेय ने किया. डॉ पांडेय ने भूमि संसाधन समृद्धि विषय पर व्याख्यान दिया. उन्होंने बताया कि भूमि प्रकृति के द्वारा दी गयी अनमोल रत्न है. इसका सदुपयोग करना चाहिए. इस कार्यक्रम में जिले के सभी कोटि के 65 विद्यालयों के छात्र-छात्राओं ने भाग लिया.
भूमि से संबंधित अपना-अपना मंतव्य रखा. साथ ही छात्रों ने अपनी-अपनी परियोजनाओं की प्रस्तुति भी दी. बताते चले कि चयनित छात्र राज्यस्तरीय कार्यक्रम में भाग लेने के लिए आगामी 21 अक्तूबर को मधुबनी के लिए रवाना हुए. इस मौके पर प्रो. शिवपूजन सिंह, डॉ नरेंद्र कुमार, डॉ रामाधार सिंह ने भी छात्रों को भूमि संसाधन समृद्धि के संबंध में विशेष जानकारी दी.
मौके पर विभिन्न विद्यालय के सात छात्रों का चयन किया गया. चयनित प्रतिभागियों में इंटर स्कूल जम्होर के विकास कुमार, केशव उच्च विद्यालय सोन नगर के सुजीत कुमार, मधु प्रिया, उच्च विद्यालय घटराइन के कुंदन कुमार, उच्च विद्यालय बाण के प्रशांत कुमार, उच्च विद्यालय अरथुआ के आनंद गौरव, उच्च विद्यालय सिरिस के उत्तम कुमार शामिल हैं.
बढ़ती उम्र व महंगाई के बीच कट रही जिंदगी
औरंगाबाद :
सरकार द्वारा बुजुर्गो के कल्याण के लिए वृद्धावस्था पेंशन सहित विभिन्न योजनाएं चलायी जा रही हैं, लेकिन यदि धरातल पर देखा जाये तो इन योजनाओं का कितना लाभ वास्तविक तौर पर वृद्धों को मिल पाता है, शायद इसकी जानकारी जवाबदेह पदाधिकारियों को भी नहीं है. उस वृद्ध मां-बाप पर क्या गुजरती होगी, जिन्होंने गरीबी से संघर्ष करते हुए अपने संतान को पाल-पोस कर बड़ा किया.
व्यवस्था पर सवालिया निशान
कुछ करने लायक बनाया. जब उनकी सेवा की बारी आयी तो संतान ने मुंह मोड़ लिया. इसके एक नहीं हजारों उदाहरण समाज में देखे जा सकते हैं. जो सामाजिक व सरकारी व्यवस्था पर सवालिया निशान उठाते हैं.एक ऐसे ही वृद्ध का जिक्र कर रहे हैं, जिनकी व्यथा सुन कर रोंगटे खड़े हो जायेंगे.
कुटुंबा प्रखंड के धनिवार निवासी मुखदेव राम 80 वर्ष के हैं. तीन पुत्रों की उपेक्षा ङोल रहे श्री राम अपनी 78 वर्षीया पत्नी नेपुरी देवी के साथ गुजारा कर रहे हैं. बुढ़ापे में बेटा ओर बहू ने घर से निकाल दिया. ग्रामीणों से बटाई पर कुछ जमीन लेकर खेती कर पति-पत्नी गुजारा कर रहे हैं. संपत्ति के नाम पर एक झोंपड़ी और एक जानवर(बाछी) है, जिसे खिलाने के लिए घर में चारा नहीं है. इस अवस्था में भी घास काट कर लाते हैं. हालत इतनी खास्ता है कि तन भी ठीक से नहीं ढक पाता है.
सरकार द्वारा बुजुर्गो के कल्याण के लिए वृद्धावस्था पेंशन सहित विभिन्न योजनाएं चलायी जा रही हैं, लेकिन यदि धरातल पर देखा जाये तो इन योजनाओं का कितना लाभ वास्तविक तौर पर वृद्धों को मिल पाता है, शायद इसकी जानकारी जवाबदेह पदाधिकारियों को भी नहीं है. उस वृद्ध मां-बाप पर क्या गुजरती होगी, जिन्होंने गरीबी से संघर्ष करते हुए अपने संतान को पाल-पोस कर बड़ा किया.
व्यवस्था पर सवालिया निशान
कुछ करने लायक बनाया. जब उनकी सेवा की बारी आयी तो संतान ने मुंह मोड़ लिया. इसके एक नहीं हजारों उदाहरण समाज में देखे जा सकते हैं. जो सामाजिक व सरकारी व्यवस्था पर सवालिया निशान उठाते हैं.एक ऐसे ही वृद्ध का जिक्र कर रहे हैं, जिनकी व्यथा सुन कर रोंगटे खड़े हो जायेंगे.
कुटुंबा प्रखंड के धनिवार निवासी मुखदेव राम 80 वर्ष के हैं. तीन पुत्रों की उपेक्षा ङोल रहे श्री राम अपनी 78 वर्षीया पत्नी नेपुरी देवी के साथ गुजारा कर रहे हैं. बुढ़ापे में बेटा ओर बहू ने घर से निकाल दिया. ग्रामीणों से बटाई पर कुछ जमीन लेकर खेती कर पति-पत्नी गुजारा कर रहे हैं. संपत्ति के नाम पर एक झोंपड़ी और एक जानवर(बाछी) है, जिसे खिलाने के लिए घर में चारा नहीं है. इस अवस्था में भी घास काट कर लाते हैं. हालत इतनी खास्ता है कि तन भी ठीक से नहीं ढक पाता है.
बढ़ती उम्र और महंगाई के कारण खेती से गुजारा भी मुश्किल हो गया है. किसी तरह इनका जीवन कट रहा है. वृद्धावस्था पेंशन तो मिलता है, लेकिन इन्हीं के शब्दों में ‘ छह, सात महीने में एक बार मिले हई बाबू’ इनके पास इंदिरा आवास तक भी नहीं है. इन्होंने इसके लिए आवेदन दिया था, लेकिन सरकार की फाइलों की रफ्तार किससे छिपी है. बस इंतजार है कब मिलेगा लाभ.
सड़क पर पढ़ना है मजबूरी
हो सकता है बड़ा हादसा
कुटुंबा (औरंगाबाद) :
प्रखंड के नवसृजित प्राथमिक विद्यालय,बतसपुर के छात्र-छात्रा पेड़ के नीचे सड़क पर बैठ कर पढ़ने के लिए विवश हैं. जब मोटरसाइकिल एवं साइकिल चालक उक्त रास्ते से पार करने लगते हैं, तो बच्चे को उस जगह से हट जाना पड़ता है. विगत दिनों लगातार हो रही बारिश के कारण विद्यालय कई दिनों तक बंद करना पड़ा था.
कब खुला था विद्यालय
वर्ष 2002 में पंचायत समिति सदन से लोक शिक्षा केंद्र के रूप में विद्यालय शुरू किया गया था. कुछ ही दिनों के बाद नवसृजित प्राथमिक विद्यालय में उत्क्रमित किया गया. बीच में शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हो पाने के कारण विद्यालय के बच्चे दूसरे विद्यालय में पढ़ने चले गये. विगत वर्ष शिक्षकों की नियुक्ति की गयी. इसके बाद से विद्यालय सुचारु रूप से चल रहा है.
किसान ने दान की जमीन
गांव के किसान मुन्ना सिंह ने विद्यालय भवन निर्माण के लिए खाता -17, प्लॉट -144 में भूमि भी दान दी. इसके बावजूद विद्यालय का भवन नहीं बनाया जा रहा है. ग्रामीणों ने संबंधित अधिकारी एवं जिला प्रशासन का इस ओर ध्यान आकृष्ट कराया है.
कुटुंबा (औरंगाबाद) :
प्रखंड के नवसृजित प्राथमिक विद्यालय,बतसपुर के छात्र-छात्रा पेड़ के नीचे सड़क पर बैठ कर पढ़ने के लिए विवश हैं. जब मोटरसाइकिल एवं साइकिल चालक उक्त रास्ते से पार करने लगते हैं, तो बच्चे को उस जगह से हट जाना पड़ता है. विगत दिनों लगातार हो रही बारिश के कारण विद्यालय कई दिनों तक बंद करना पड़ा था.
कब खुला था विद्यालय
वर्ष 2002 में पंचायत समिति सदन से लोक शिक्षा केंद्र के रूप में विद्यालय शुरू किया गया था. कुछ ही दिनों के बाद नवसृजित प्राथमिक विद्यालय में उत्क्रमित किया गया. बीच में शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हो पाने के कारण विद्यालय के बच्चे दूसरे विद्यालय में पढ़ने चले गये. विगत वर्ष शिक्षकों की नियुक्ति की गयी. इसके बाद से विद्यालय सुचारु रूप से चल रहा है.
किसान ने दान की जमीन
गांव के किसान मुन्ना सिंह ने विद्यालय भवन निर्माण के लिए खाता -17, प्लॉट -144 में भूमि भी दान दी. इसके बावजूद विद्यालय का भवन नहीं बनाया जा रहा है. ग्रामीणों ने संबंधित अधिकारी एवं जिला प्रशासन का इस ओर ध्यान आकृष्ट कराया है.
दिख रही शिक्षक बनने की चाहत
ग्रुप बना कर छात्र-छात्रा कर रहे तैयारी
दाउदनगर(अनुमंडल) :
दाउदनगर(अनुमंडल) :
शिक्षक पात्रता परीक्षा की तिथि घोषित होने के बाद अभ्यर्थियों में परीक्षा की तैयारी करने की होड़ सी मच गयी है. बढ़ती महंगाई एवं बेरोजगारी के कारण इस बार शिक्षक बनने के लिए फॉर्म भरने को लेकर अभ्यर्थियों की काफी भीड़ केंद्रों पर देखी गयी थी. अब तिथि घोषित होने के बाद इसकी तैयारी को लेकर होड़ सी मच गयी है.
काफी संख्या में अभ्यर्थी बाहर जाकर कोचिंग संस्थानों में तैयारी कर रहे हैं. वहीं गाइड द्वारा स्थानीय स्तर पर भी अभ्यर्थी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं. तैयारी के सिलसिले में महिलाएं एवं छात्राएं भी पीछे नहीं हैं. पढ़नेवाली छात्राएं पढ़ाई के साथ-साथ परीक्षा की तैयारी को प्राथमिकता दे रही हैं.
वहीं पढ़ी- लिखीं महिलाएं घर पर ही परीक्षा की तैयारी जम कर कर रही है. ग्रुप डिस्कशन भी हो रहा है. पुराना शहर जोड़ा मंदिर निवासी रश्मि रानी ने कहा कि घर पर चूल्हा चौका के साथ-साथ परीक्षा की तैयारी को पहली प्राथमिकता दी जा रही है. मंजू कुमारी, शशि प्रभा, पूनम कुमारी का कहना है कि शिक्षक पात्रता परीक्षा के कारण महिलाओं में शिक्षा के प्रति जागरूकता बहुत ज्यादा बढ़ी है.
बंसत कुमार ने कहा कि वह इसके लिए अलग से कोई तैयारी नहीं कर रहे हैं, क्योंकि उनकी सोच है कि नियमित तैयारी ही सफलता का मूल मंत्र है. ब्रजेश कुमार, विवेकानंद, मुकेश कुमार ने कहा कि वे लोग गाइड से तैयारी कर रहे हैं. बहरहाल स्थिति यह है कि चारों तरफ इसी परीक्षा की तैयारी करते अभ्यर्थी दिख रहे हैं. लक्ष्य सिर्फ एक ही है कि किसी भी तरह शिक्षक की नौकरी पा लें.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें