मंगलवार, 11 अक्तूबर 2011

अपनी बात

मेरी नजरो और जानकारी में श्री अनामी शरण बबल जी दिल्ली के एक बड़े पत्रकार है जो अपने ही जिले औरंगाबाद के है.बड़े भाई के समान है. उनसे औरंगाबाद में ही एक-दो मुलाकाते है. मै समझता हूँ  कि वे मुझे ठीक से पहचानते भी नहीं होंगे. खैर इससे क्या फर्क पड़ता है लेकिन एक बात बता दूँ  कि वे मेरे फेसबुक फ्रेंड है. यही वजह है कि उनसे फेसबुक पर चैट हो जाती है. कल यानि १० अक्टूबर २०११ की बात है,उनसे फेसबुक पर चैट हो रही थी. इसी दौरान उनसे कुछ नया करने की बाते होने लगी और बातो ही बातो में उन्होंने औरंगाबाद की खबरों से देश-दुनिया के लोगो को रूबरू कराने के लिए एक ब्लॉग बनाने की सलाह दे डाली. उनकी यह सलाह मुझे अच्छी लगी और इसे लेकर मेरे पत्रकार मन में कीड़ा कुलबुलाने लगा और  AURANGABAD TIMES NEWS के रूप में यह ब्लॉग कुछ ही समय में वेबवर्ल्ड में अवतरित हो रहा है. मेरा मानना है कि आप देश-दुनिया के किसी भी कोने में प्रवासी बनकर रहने लगे लेकिन आप अपनों की खबर तो संचार के अति आधुनिक साधनों के जरिये मिनटों में पा लेंगे लेकिन अपने गाव और ज़िला-जवार की खबरे किसी अख़बार में वह नहीं मिलेगी. कारण प्रिंट मीडिया खासकर हिंदी प्रिंट मीडिया का स्थानीयकरण हो चुका है और स्थानीयकरण की यह होड़ लगातार बढ़ती ही  जा रही है,जिसपर विराम लगने की निकट भविष्य में कोई संभावना  बनती नहीं दिख रही है.वर्तमान समय में अखबारों का राष्ट्रीय स्वरुप ख़त्म सा हो गया है प्राय: सभी अख़बार क्षेत्रीय बनकर  रह गए है. रही बात क्षेत्रीय न्यूज़ चैनलों की,तो ये सारे क्षेत्रीय चैनल डीटीएच प्लेटफार्म पर भी उपलब्ध नहीं है. इस कारण इन चैनलों से भी आप्रवासियो की खबरों की भूख मिटनेवाली नहीं है. हकीकत यही है क़ि ये क्षेत्रीय चैनल अपने लक्षित क्षेत्रो तक ही सीमित है. जहा तक राष्ट्रीय चैनलों क़ि बात है,तो ये डीटीएच प्लेटफ़ॉर्म पर उपलब्ध है लेकिन इनपर गाव-गिराव की वही खबरे दिख जाती है जो बड़ा मामला बन जाता है. इस हालत में भी  आप्रवासी अपने गाव-ज़िला-जवार से जुडी हुई खबरों को जानने कि भूख मिटाने से वंचित हो जाते है. इन्ही वजहों और बबल भैया की सलाह ने मुझे यह ब्लॉग बनाने को प्रेरित किया. इस ब्लॉग को मीडिया रूपी महासमुद्र में एक टीला भर ही कहा जा सकता है. पूरी ईमानदारी के साथ हमारी यह कोशिश रहेगी कि इस टीले पर आपको औरंगाबाद की हर वो खबर और तस्वीरे देखने-पढने को मिले जिसे जानने के आप जिज्ञासु है. इस ब्लॉग को संचलित करने में मेरे औरंगाबाद के मित्रो प्रियदर्शी किशोर श्रीवास्तव(इंडिया टीवी), धीरज पाण्डेय(इंडिया न्यूज़), एवं विद्यासागर उर्फ़ प्रिंस कुमार(राष्ट्रीय सहारा) ने नियमित रूप से सहयोग करने का भरोसा दिलाया है और भरोसे के अनुरूप इन मित्रो का सहयोग मिलता रहा तो सुधी पाठको को नियमित रूप से औरंगाबाद की खबरे पढने को मिलती रहेगी. आपके अमूल्य सुझाव एवं आलोचनाए हमारे लिए प्रेरणा का काम करेगी. एक बार फिर से इस ब्लॉग को बनाने में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से सहयोग करने  के लिए अपने मित्रो के प्रति ह्रदय की अनंत गहराइयों से आभार प्रकट करते हुए अपनी बाते फ़िलहाल समाप्त कर रहा हूँ. आपसे भविष्य में भी लगातार बातो के सिलसिले को कायम रखने की कोशिश जारी रखूँगा. आमीन! 
                                                                               गणेश प्रसाद 
                     (इन पंक्तियों के लेखक हिंदी दैनिक राष्ट्रीय सहारा के औरंगाबाद ब्यूरो के ब्यूरो चीफ है)

1 टिप्पणी:

  1. Anami Sharan Babal ने कहा…

    अति सुंदर लगे रहो गणेश भाई अपने तमाम साथियों को मेरा प्यार नमस्का3र कहना।अपने ब्लाग में मेरा और मेरे ब्लाग में तुम्हारा ब्लाग कैसे ेडदस्ट करेगा यह पूछना ताकि ेक क्षण में clic करतके ही देख सके। बहुत सुदंर । इसमें और भी बिहार या नेशनल खबरे डाल कर इसको ज्यादा पठनीय बनाना। फिर सारे साथियों को समर्थक में टुड़ने को कहना ताकि लगे कि लोग ज्याद जुड़े है। तुम्हारी टिप्पणी vvvvvvvvgoooooood पसंद आया।

    जवाब देंहटाएं